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आधुनिक युग के मनुष्य के लिए प्रासंगिक ईश्वर-विमर्श उपस्थित करती महत्वपूर्ण विचार -कृति ईश्वर भारत ही नहीं बल्कि दुनिया भर में सबसे अधिक उपयोग में लाया जाने वाला सांस्कृतिक साफ्टवेयर जैसा भी है । लेखक का आत्मविश्वास है कि यह किताब एंटीवायरस का काम करेगी। लोग यह जान सकेंगे कि उनके दिमाग में ईश्वर का सबसे स्वस्थ और सही वाला साफ्टवेयर इंस्टाल है या नहीं !
भारतीय धर्म और संस्कृति की अति दीर्घकालीन परंपरा में ऐसा बहुत कुछ है जो प्रगतिशील ,उदात्त,आदर्शात्मक और विचारणीय है ।यह पुस्तक इसके लेखक द्वारा सत्य और असत्य के बीच अपनी निजी आस्था की खोज के रूप में लिखी गई थी । इस पुस्तक का पहला भाग भारतीय धर्म और दर्शन पर है । दूसरा भाग उपनिषदों का मनोवैज्ञानिक पुन:पाठ है । तीसरा भाग अन्य वैश्विक संप्रदायों का पुनर्मूल्यांकन करता है । लेखक की यह पुस्तक एक बड़ी वैचारिक परियोजना का हिस्सा है । लेखक के सही और सभी वैचारिक पक्षों से अवगत होने के लिए "सभ्यता का पुनःपाठ " ,"मैने अपना ईश्वर बदल दिया है "और "ईश्वरतंत्र " को भी पढ़ लेने का सुझाव दिया जाता है ।
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